Friday 26 June, 2009

To Prashant,

This post of mine is dedicated to a dear blogfriend prashant(Chai ke dukaan) to you dude you are simply wonderful this is for you and for your chai ke dukaan ;) असाम के हरे मैदानों में, या दार्जिलिंग के महकते बागानों में, ये कौन खडा देख रहा आशा भरी निगाहों से? देख रहा वो उन कोमल वनिताओं को, तो अपने कोमल हाथों से, तोड़ रही चाय की उतनी ही कोमल पंखुडियां, और उन पत्तों से भर रही सर पे बंधी टोकरियाँ, कौन है ये जो देख रहा है चाय को, के जैसे वो कोई सुंदर नारी हो, चाय जिसके रगरग में है, चाय जिसके तन मन में है, जय जिसके जीवन में है, चाय जिसके हर क्षण में है, कौन है वो बोलो तो, नाम मुझे उसका सुनना है... पूछते क्या हो, पता नही क्या... ये तो अपना prashant hai. aaur last mein eek aaur वाह ताज :D आसान होता होगा कहीं शायद इस से मर जाना किसी से इश्क करना और कुछ ना कह पाना hope u will like it.

3 comments:

SS said...

How sweet is that! :)

princess said...

Thanx you Rhapsody :)

~ ॐ ~ said...

I wonder why I never read this!!!!

Thank you very much for this!!!!